दुनिया में आज जेफ़ बेज़ोस, इलोन मस्क और बिल गेट्स जैसे अमीर लोगों की कोई कमी नहीं है। और जब भी कभी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की बात होती है तो हमारे दिमाग में सबसे पहले इन्हीं लोगों का नाम आता है। हालाँकि इतिहास में एक व्यक्ति ऐसा भी गुज़रा है जिसके सामने आज के ये सबसे अमीर कहलाने वाले लोग भी बेहद मामूली से नज़र आते हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं माली साम्राज्य के सम्राट “मनसा मूसा” के बारे में जिन्हें इतिहास का सबसे अमीर व्यक्ति माना जाता है। कहा जाता है कि वह इतनी दौलत के मालिक हुआ करते थे जिसका आज अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। आज की हमारी इस स्टोरी में हम आपको मनसा मूसा और उनकी इसी बेशुमार दौलत के बारे में बताने वाले हैं।
दोस्तों, मनसा मूसा का जन्म अफ्रीका के सबसे बड़े एम्पायर “माली साम्राज्य” के “कीटा राजवंश” में सन 1280 में हुआ था। जन्म के समय उनका नाम मूसा कीटा रखा गया था। जबकि मनसा शब्द उनके नाम में माली साम्राज्य का सम्राट बनने के बाद जोड़ा गया। दरअसल मनसा शब्द का अर्थ बादशाह होता है और ये शब्द माली के हर एक सम्राट के नाम के आगे जोड़ा जाता था। मनसा मूसा साल 1312 में “माली साम्राज्य” की राज गद्दी पर बैठे थे जिसके बाद वह 25 साल यानी 1337 ई. तक शासन करते रहे। वह एक बेहतरीन शासक थे क्योंकि अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने ना सिर्फ अपने साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि खुद बेशुमार दौलत भी कमाई। उनके बारे में ये कहा जाता है कि उन्होंने ये दौलत नमक और सोने का व्यापार करके जमा की थी। क्योंकि उन दिनों माली के अंदर नमक और सोने के अपार भंडार मौजूद थे।
यूँ तो आज उनकी दौलत का अंदाज़ा लगाना नामुमकिन माना जाता है। लेकिन दुनिया के कुछ एक्सपर्ट ये मानते हैं कि मूसा की कुल संपत्ति आज के ज़माने के 400 बिलियन डॉलर के बराबर थी। अब अगर इस आंकड़ें को सच भी मान लिया जाए तब भी इस समय पूरी दुनिया में उनके जितना अमीर इंसान और कोई नहीं है। आपके अंदाज़े के लिए बता दें कि इस समय अगर जेफ़ बेज़ोस और इलोन मस्क की नेटवर्थ को एक साथ जोड़ भी दिया जाए तब भी वो 400 बिलियन डॉलर के बराबर नहीं होगी। हालांकि मनसा मूसा के बारे में बहुत से लोग ये मानते हैं कि उनकी नेटवर्थ 400 बिलियन डॉलर से भी कई गुना ज़्यादा थी। अपने शासनकाल में मूसा ने माली साम्राज्य को अफ्रीका का सबसे बड़ा और सबसे अमीर साम्राज्य बना दिया था। बताया जाता है कि माली साम्राज्य को उस समय दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उत्पादक माना जाता था।
ये वो दौर था जब पूरी दुनिया में सोने की मांग बहुत ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रही थी। और दुनिया भर में माली ही वो जगह थी जहाँ सबसे ज़्यादा सोना निकलता था। एक अनुमान के मुताबिक़ उस समय माली एम्पायर में हर साल एक हज़ार किलो सोने का उत्पादन किया जाता था जो बेहद चौंकाने वाला आंकड़ा है। माली साम्राज्य अफ्रीका के पश्चिमी हिस्से में स्थित था जो अटलांटिक महासागर के किनारे से लेकर टिंबक्टु तक फैला हुआ था। आज के समय के हिसाब से देखें तो ये साम्राज्य घाना और माली जैसे देशों के भूभाग पर फैला हुआ था। मूसा से पहले इस साम्राज्य पर उनके बड़े भाई “मनसा अबूबक्र” का शासन हुआ करता था। मूसा की तरह ही अबूबक्र भी एक ज़बरदस्त शासक हुआ करते थे। लेकिन वह अटलांटिक महासागर को पार करके उसके आगे की दुनिया देखना चाहते थे। इसलिए अपना सिंहासन मूसा को सौंपकर वह अपने समुद्री सफर पर निकल गए थे।
बताया जाता है कि 2 हज़ार जहाज़ों, हज़ारों सैनिकों और सैंकड़ों नौकरों के साथ अपनी इस खोज यात्रा पर निकले अबूबक्र फिर कभी वापस लौटकर नहीं आए। उनके बारे में कुछ लोग ये कहते हैं कि वह साउथ अमेरिका तक पहुँच गए थे। हालांकि ये बात आज तक साबित नहीं हो पाई है। अपने भाई अबूबक्र के इस तरह चले जाने के बाद मूसा ने राजगद्दी को संभाला। और वह अपने शासनकाल में माली साम्राज्य को और भी ज़्यादा ऊंचाइयों पर ले गए। दरअसल मूसा ने अपने इस एम्पायर को टिंबक्टु से आगे बढ़ाकर ताडमेका, गाओ और पश्चिम में अटलांटिक महासागर तक फैला दिया था। आज के समय के हिसाब से देखें तो सेनेगल, गाम्बिया, गिनिया, बुर्किना फासो, माली, नाइज़र, चाड और नाइजीरिया जैसे अफ़्रीकी देश इसी साम्राज्य का हिस्सा हुआ करते थे। जैसे-जैसे ये साम्राज्य बढ़ता गया वैसे-वैसे ही यहाँ के लोगों के हालात और भी ज़्यादा सुधरते गए।
क्योंकि साम्राज्य बढ़ने से लोगों के लिए काम और व्यापार के अवसर भी बढ़ गए जिससे उनका जीवन और भी बेहतर होता गया। मूसा के शासनकाल में माली साम्राज्य बढ़ते-बढ़ते इतना बड़ा हो गया कि ये मंगोल साम्राज्य के बाद उस समय दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एम्पायर बन गया था। बताया जाता है कि मूसा ने अपने इस एम्पायर को दो हज़ार मील तक फैला दिया था। साथ ही इस विशाल साम्राज्य की रक्षा करने के लिए उनकी सेना में दो लाख से ज़्यादा सिपाही मौजूद थे जिसमें से 40 हज़ार तो सिर्फ तीरंदाज़ ही थे। ये उस समय दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक थी। शुरुआत में दुनिया का कोई भी देश या साम्राज्य मूसा की इस बेशुमार अमीरी के बारे में कुछ नहीं जानता था। और दुनिया को उनकी इस अमीरी का पता तब चला जब वह सन 1324 में हज करने के लिए मक्का की यात्रा पर निकले।
दरअसल मनसा मूसा इस्लाम धर्म को मानने वाले एक मुस्लिम शासक थे। इसलिए दुनिया के दूसरे मुसलमानों की तरह ही वह भी हज करने की इच्छा रखते थे। और उनके इस हज यात्रा पर निकलने की वजह से ही बाहर की दुनिया को पता चला कि अफ्रीका का रहने वाला ये शासक असल में इतिहास का सबसे धनवान व्यक्ति था। क्योंकि मूसा अपनी इस यात्रा पर एक विशाल काफिले को लेकर निकले थे जिसमें हज़ारों सैनिक, नौकर-चाकर और गुलामों के अलावा घोड़े और ऊँट जैसे जानवर भी शामिल थे। एक आंकड़े में ये बताया जाता है कि मूसा के इस काफिले में 60 हज़ार से ज़्यादा लोग शामिल थे। असल में देखा जाए तो ये कोई काफिला नहीं बल्कि वह एक पूरा शहर अपने साथ लेकर निकले थे। साथ ही वह जिस घोड़े पर सवार थे उसके आगे लगभग 500 लोगों का दस्ता चल रहा था। ये सभी लोग महंगे रेशम के कपड़े पहने हुए थे और इन सभी के हाथों में सोने की छड़ियाँ थी।
इस काफिले में 80 ऊँट ऐसे थे जिनमें हर एक के ऊपर 136 किलो सोना लदा हुआ था। दरअसल मूसा अपने साथ ये सोना इसलिए लेकर चले थे ताकि रास्ते में वे इसको गरीब लोगों में बांट सकें। उनका ये विशाल और आलिशान काफिला जहाँ से भी गुज़रा लोग इसको देखते ही रह गए। मूसा रास्ते में गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को सोना बांटते हुए आगे बढ़ रहे थे जिससे लोगों को उनकी अमीरी का अंदाज़ा हो रहा था। उनकी इस बेशुमार दौलत को देखकर लोग अपनी आँखों पर विश्वास तक नहीं कर पा रहे थे। मक्का के इस सफर पर मूसा का काफिला सहारा रेगिस्तान को पार करते हुए मिस्र से भी गुज़रा। बताया जाता है कि जब ये काफिला मिस्र की राजधानी काहिरा में पहुँचा तो वहां के गरीब लोगों को देखकर मूसा ने सड़कों पर सोने की बारिश कर दी थी। उन्होंने इस शहर के अंदर बेशुमार दौलत लुटाई थी।
काहिरा के लोग ये सब देखकर बेहद हैरान थे क्योंकि उन्होंने इससे पहले एक साथ इतनी दौलत कभी नहीं देखी थी। मूसा के इस दान की वजह से काहिरा के गरीब लोग रातों-रात अमीर हो गए जिसके चलते वहां महंगाई हद से ज़्यादा बढ़ गयी। बताया जाता है कि इस शहर के अंदर मनसा मूसा 3 महीने तक रुके थे। और जब वह पहली बार मिस्र के राजा से मिले तो उन्होंने उसको 50 हज़ार सोने के सिक्के भेंट किये थे। इस दान की वजह से मिस्र की “गोल्ड करेंसी” की कीमत 20 प्रतिशत तक नीचे गिर गयी थी। और इस कीमत को वापस अपने स्तर पर आने में 12 साल का समय लगा था। यानी मूसा के इस दान का असर काहिरा के अंदर 12 साल तक रहा था। मिस्र में बहुत लंबे अरसे तक मूसा की इस उदारता के किस्से सुनाए जाते रहे। और धीरे-धीरे ये किस्से और कहानियां अफ्रीका से बाहर की दुनिया तक भी पहुँचने लगे।
जिससे दुनिया भर के लोगों को ये पता चला कि अफ्रीका के अंदर मूसा नाम का एक बादशाह भी रहता है जो हद से ज़्यादा धनी है। इस यात्रा के किस्सों की वजह से ही सन 1375 में मूसा और उनके साम्राज्य माली को मध्यकालीन वर्ल्ड मैप “कैटेलन एटलस” में जगह दी गयी थी। इस नक़्शे के अंदर मूसा को सोने के एक सिंहासन पर हाथ में सोने की छड़ी और सोने का एक ग्लोब लेकर बैठे हुए दिखाया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि “कैटेलन एटलस” चौदहवीं शताब्दी के मशहूर मानचित्रकार “अब्राहम क्रैसक्स” द्वारा बनाया गया एक नक्शा है। जिसके अंदर मध्यकालीन युग की सभी महत्वपूर्ण जगहों और लोगों को दर्शाया गया है। अपनी हज यात्रा के दौरान मूसा ने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बहुत सी इमारतें और स्ट्रक्चर देखे थे। इसलिए वह अपने साथ विदेशी आर्किटेक्ट, किताबें और कुछ विद्वानों को लेकर लौटे।
दरअसल वह अपने साम्राज्य में भी ऐसी ही इमारतों, मस्जिदों और यूनिवर्सिटीज़ को बनवाना चाहते थे। और फिर वापस आने के बाद उन्होंने बहुत सी मस्जिदों और विश्वविद्यालयों का निर्माण करवाया। माली पर लगभग 25 सालों तक शासन करने के बाद साल 1337 में मूसा की मौत हो गयी थी। और ये बड़े दुर्भाग्य की बात है कि उनकी मौत के बाद उनके कारोबार व साम्राज्य को उनकी अगली पीढ़ियां ठीक से संभाल तक नहीं पाईं। बताया जाता है कि उन दिनों माली के अंदर एक गृहयुद्ध छिड़ गया था जो बहुत लंबे समय तक चला। इसके अलावा कुछ विदेशी ताकतों ने माली की बेशुमार दौलत को लूटने के लिए उस पर हमला करना भी शुरू कर दिया था। और इसी सब के चलते ये साम्राज्य हमेशा के लिए ढह गया।