हमारी इस दुनिया का सबसे बड़ा सच यही है कि दुनिया में मौजूद प्रत्येक जीवित चीज़ को एक दिन मौत का स्वाद चखना है। अक्सर देखा जाता है कि इंसान इस कड़वे सच से भागने की कोशिश करता है। लेकिन इंसान चाहे कितनी ही कोशिश क्यों ना कर ले, एक ना एक दिन मौत उसको अपना शिकार बना ही लेती है।
मौत को लेकर आप सभी लोगों ने तरह-तरह की बाते सुनी होंगी। इन सभी बातों को सुनने के बाद लोगों के मन में एक सवाल हमेशा रह जाता है कि मौत के बाद हमारे साथ आखिर क्या होता है? वैसे तो इस सवाल का उत्तर देना बड़ा कठिन है लेकिन आज हम आपको इस सवाल का सही और सटीक जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे।
What Is Death?
ये बात तो प्रत्येक इंसान जानता है कि मरने के बाद इंसान के शरीर से उसकी जान निकल जाती है और वह एक ऐसी अवस्था में चला जाता है जहाँ से लौटना नामुमकिन होता है। मौत एक ऐसी गहरी नींद है जिसमें एक बार सोने के बाद फिर इंसान कभी नहीं जाग पाता है। धार्मिक रूप से देखा जाए तो एक इंसान की मृत्यु तब होती है जब उसके शरीर से उसकी आत्मा अलग हो जाती है।
लेकिन साइंस की दृष्टि से देखें तो मौत की परिभाषा इससे थोड़ी अलग निकल कर आती है। साइंस के अनुसार एक व्यक्ति को मृत घोषित तभी किया जाता है जब उसके शरीर को ज़िंदा रखने वाले सभी अंग अपना काम करना बंद कर देते हैं। मेडिकल साइंस में इंसान को मरा हुआ तभी माना जाता है जब उसकी नब्ज़ चलना बंद हो जाए, उसके दिल की धड़कन रुक जाए और वह साँस लेना बंद कर दे।
आज की आधुनिक मेडिकल साइंस में ऐसे उपकरण मौजूद हैं जो इन अंगों को जीवित रख सकते हैं। लेकिन ऐसा सिर्फ कुछ समय के लिए ही किया जा सकता है। अंत में प्रत्येक इंसान को मौत का शिकार बनना ही पड़ता है।
What happens to our body after death?
साइंस की माने तो मौत एक झटके में नहीं आती बल्कि यह धीरे-धीरे शरीर के अंदर फैलती है। एक-एक करके शरीर को जीवित रखने वाले सभी अंग बंद होने लगते हैं और इंसान मौत की गहरी नींद में सोता चला जाता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि मरने के बाद भी इंसान का दिमाग 10 मिनट या उससे कुछ अधिक समय तक जीवित रहता है।
कुछ वैज्ञानिक तो ये भी दावा करते हैं कि मरने के बाद हमारे दिमाग को हमारी मौत के होने का पता चल जाता है। हालाँकि अभी ये रिसर्च अपने प्रारंभिक चरण में है और इस बात को अभी तक साबित नहीं किया गया है। मृत्यु के बाद शुरूआती एक घंटे में शरीर के अंदर बहुत कुछ होता है। सबसे पहले इंसान के शरीर में Decomposition यानी गलने और सड़ने की प्रक्रिया शुरू होती है।
मृत्यु के समय शरीर की सभी मांसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं जिसके कारण अक्सर मृत इंसान का मुँह खुला हुआ नज़र आता है।शरीर की मांसपेशियाँ ढीली पड़ने को मेडिकल साइंस में Primary Flaccidity कहा जाता है। मांसपेशियाँ ढीली पड़ने के कारण शरीर में मौजूद मल-मूत्र स्वयं ही बाहर निकल जाता है।
इसके साथ ही दिल कि धड़कन रुकने के कुछ ही मिनटों में शरीर की त्वचा में मौजूद रक्त छोटी नसों से बह कर बड़ी नसों में जमा हो जाता है। जिसके कारण शरीर का रंग फीका और पीला नज़र आने लगता है। साथ ही मृत्यु होने के एक घंटे के अंदर शरीर ठंडा होना भी शुरू हो जाता है।
मेडिकल भाषा में इसको Death Chill का नाम दिया गया है। जिसके कारण एक घंटे में शरीर का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। और इसके बाद प्रत्येक एक घंटा बीतने पर 1 डिग्री सेल्सियस कम होता चला जाता है। चूँकि ह्रदय अपना काम करना बंद कर चुका होता है इसलिए शरीर का सारा खून ग्रेविटी के कारण बहते हुए शरीर के निचले हिस्से में जमा होने लगता है।
और इस प्रक्रिया को Liver Mortis कहा जाता है। Liver Mortis प्रक्रिया के कारण कई बार शरीर के निचले हिस्से में लाल और बैंगनी रंग के चोट जैसे दिखने वाले निशान बन जाते हैं। जिन्हें कई बार Postmortem Stain भी कहा जाता है।
After Three Hours
इंसान की मृत्यु हो जाने के लगभग 3 घंटे के बाद उसका शरीर अकड़ना शुरू होता है। शरीर की मांसपेशियों के अकड़ने की इस प्रक्रिया को Rigor Mortis कहा जाता है। Rigor Mortis प्रक्रिया का सबसे पहला असर मृत व्यक्ति की आँखों, जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों पर पड़ता है। आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ मृत लोगों की आंखे और मुँह इस तरह खुले रह जाते हैं कि हाथ से बंद करने पर भी बंद नहीं होते।
ऐसा रिगोर मोर्टिस प्रक्रिया के कारण ही होता है। चेहरे की मांसपेशियों से शुरू हुई ये प्रक्रिया धीरे-धीरे शरीर के निचले हिस्से की तरफ बढ़ती है। और तब तक बढ़ती रहती है जब तक कि पूरा शरीर अकड़ नहीं जाता। शरीर के अकड़ने का ये सिलसिला लगभग 12 घंटों तक चलता रहता है।
After Twelve Hours
12 घंटे के बाद जब शरीर की अकड़न अपने शीर्ष पर पहुँच जाती है तो इसके बाद शरीर की मांसपेशियाँ एक बार फिर से ढीली होना शुरू हो जाती हैं। और मांसपेशियो के दोबारा ढीला होने कि इस प्रक्रिया को मेडिकल भाषा में Secondary Flaccidity कहा जाता है। शरीर में यह प्रक्रिया एक से तीन दिन तक चलती है। सेकेंड्री फ्लैक्सीडीटी के दौरान शरीर की त्वचा सिकुड़ने लगती है.
और यही वो समय होता है जब शरीर पर गलने और सड़ने का असली असर दिखना शुरू होता है। शरीर के सड़ने की इन सभी प्रक्रियाओं पर बाहरी वातावरण का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। जिस तरह शरीर के सड़ने के लिए यह आंतरिक प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण होती हैं ठीक उसी प्रकार बाहर का वातावरण भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। अगर मौसम सर्दी का हो तो शरीर के सड़ने की यह सभी प्रक्रियाएं धीमी पड़ जाती हैं।
वहीं गर्मी के मौसम में इन प्रक्रियाओं को और ज़्यादा तेज़ी मिल जाती है। इसी कारण गर्मी के मौसम में मृत व्यक्ति का शरीर ज़्यादा तेज़ी से सड़ता है। जबकि मृत शरीर को बर्फ में रखने पर Decomposition की यह प्रक्रिया पूरी तरह रुक जाती है। जिसके कारण इंसान का शरीर सड़ने से बच जाता है। मृत शरीर पर गर्मी और सर्दी का यह प्रभाव साबित करता है कि शरीर के सड़ने में वातावरण भी अहम किरदार निभाता है।
Casper’s Law
मेडिकल साइंस का एक सिद्धांत Casper’s Law हमें बताता है कि वातावरण की विभिन्न परिस्तिथियों का Decomposition प्रक्रिया पर क्या असर पड़ता है? इस नियम के अनुसार यदि सभी कारक ठीक प्रकार से काम करें तो धरती पर रखा हुआ शरीर पानी में डूबे हुए शरीर के मुकाबले दो गुना ज़्यादा तेज़ी सड़ता है।
और साथ ही ये नियम इस बात को भी साबित करता है कि धरती के नीचे दफन किया हुआ शरीर 8 गुना ज़्यादा तेज़ी से सड़ता है। बताया जाता है कि पुराने समय में लोगों को इसीलिए दफन किया जाता था ताकि उनका शरीर तेज़ी से सड़ कर नष्ट हो जाए। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है इसका पता लगाना मुश्किल है।
How does it feel after death?
मौत होने के बाद मरने वाले व्यक्ति के साथ क्या होता है? या फिर वह मरने के बाद कैसा महसूस करता है? इसका पता लगाना साइंस के बस की बात नहीं है। इस बात का पता लगाने का सिर्फ एक ही तरीका है कि कोई इंसान मरने के बाद वापस ज़िंदा होकर लोगों को बताए कि उसने क्या देखा? और उसके साथ क्या-क्या हुआ? लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा होना भी नामुमकिन है क्योंकि जो व्यक्ति एक बार मर जाता है वह फिर कभी ज़िंदा नहीं होता।
हालाँकि दुनिया में ऐसे बहुत से लोग मौजूद हैं जो कुछ क्षण के लिए मौत का स्वाद चख कर वापस ज़िंदा हो चुके हैं। ऐसे लोग वापस ज़िंदा होकर बताते हैं कि मरने के बाद उन लोगों ने क्या देखा और क्या महसूस किया? चूँकि ये लोग चंद Seconds के लिए ही मरते हैं इसलिए इनके द्वारा बतायी गयी कहानी भी काफी छोटी होती है। तो चलिए आपको बताते हैं मर कर वापस ज़िंदा होने वाले लोगों की कुछ अद्भुत कहानियां।
First Story
ये घटना 5 साल पुरानी है। अमेरिका के रहने वाले एक व्यक्ति की सर्जरी के दौरान खून बहने से मौत हो गयी थी। उसकी साँस, नब्ज़ और दिल कि धड़कन बंद हो चुकी थी। अस्पताल में लगे सभी यंत्र दिखा रहे थे कि इस व्यक्ति की मौत हो चुकी है। और डॉक्टरों ने भी हर प्रकार से चेक करके उसको मृत घोषित कर दिया था।
लेकिन कुछ ही मिनटों के बाद अचानक उस व्यक्ति की साँस फिर से चल पड़ी और वह ज़िंदा हो गया। वापस ज़िंदा होने के बाद जब उस व्यक्ति ने बताया कि मरने के बाद उसने क्या देखा तो सभी लोग बेहद हैरान रह गए। उस व्यक्ति ने बताया कि मरने के बाद उसने खुद को एक अंतरिक्ष जैसी दिखने वाली जगह पर पाया जहाँ प्रकाश तो था लेकिन सूर्य या अन्य कोई भी तारा नहीं चमक रहा था।
इस बेहद अजीब दिखने वाली जगह पर ये व्यक्ति अपनी ज़िंदगी के पन्ने ऐसे पलट रहा था जैसे वो कोई किताब हो। उस जगह पर वह न तो सर्दी महसूस कर रहा था और न ही गर्मी। न उसको भूख लगी थी और न ही वह थका हुआ था। उसने बताया कि उसका शरीर असीम सुकून महसूस कर रहा था।
Second Story
ठीक इसी प्रकार का एक वाक़या एक नौजवान लड़के के साथ कुछ साल पहले हुआ था। इस लड़के की मृत्यु नींद की गोलियों के ओवरडोज़ के कारण हुई थी। जब इस लड़के को हॉस्पिटल लेके जाया जा रहा था तो इसकी मृत्यु एम्बुलेंस में ही हो गयी थी। हॉस्पिटल पहुँचने पर डॉक्टर ने इसकी बॉडी को चेक करके इस बात की पुष्टि की कि इस लड़के की मृत्यु कुछ मिनट पहले हो चुकी है।
लेकिन कुछ ही देर के बाद इस लड़के की साँस फिर से चलने लगी और ये मरने के बाद फिर से ज़िंदा हो गया। यह देखकर सभी लोग बेहद हैरान रह गए। इस लड़के ने ज़िंदा होने के बाद जो बताया वो और भी ज़्यादा चौंकाने वाला था। लड़के ने बताया कि उसने अपनी मौत के बाद अपने मृत शरीर को देखा था। और साथ ही उसने अपने आसपास मौजूद लोगों को देखा और उनकी बातों को भी सुना था।
ये सुनने के बाद डॉक्टर उस पर विश्वास नहीं करते और उससे पूछते हैं कि उसके मरने के बाद क्या-क्या हुआ था? वह लड़का अपने मरने के बाद की सारी बातें डॉक्टरों को बताना शुरू करता है। वह बताता है कि डॉक्टरों ने किस तरह उसके घर पर फ़ोन करके बताया था कि उनका बेटा मर चुका है।
और साथ ही वह डॉक्टरों की आपस में हुई वो बातें भी बताता है जो उन्होंने उसके मरने के बाद की थी। ये सब बाते सुनने के बाद डॉक्टर बेहद हैरान रह जाते हैं क्योंकि लड़के द्वारा बताई गयी ये सभी बाते बिल्कुल सच थी। किसी को समझ नहीं आता कि ऐसा कैसे संभव हो सकता है?
इन दोनों कहानियों को अगर सच माना जाए तो इनसे ये बात तो साबित हो जाती है कि मौत पर इंसान का सफर ख़त्म नहीं होता। मौत के बाद इंसान का दूसरा सफर शुरू होता है जो उसकी रूह यानी आत्मा को तय करना होता है। इंसान का ये दूसरा सफर कितना मुश्किल या कितना आसान होता है? ये तो इंसान को मरने के बाद ही पता चलता है।
लेकिन आप इस बारे में क्या सोचते हैं? हमे कमेंट करके ज़रूर बताना।